कैसा यह प्यार है,,,,,,,,,,,,,,

इस कहानी की शुरुआत आज से 3 साल पहले हुआ था.
 मेरा नाम है उमेश कुमार.
मेरा भैया का शादी ठीक हुआ था दिन गुजरते गया और मेरा भैया का शादी हो गया मैं बहुत खुश था अपनी जिंदगी में हंसता खेलता था,गाता था, घूमता था, खाता था, पिता था, बहुत मस्त मौजी था मैं.
 घर में सब खुश था क्योंकि घर में भाभी आया था. भाभी आया सब खुश था लेकिन मेरा हाल बेहाल हो गया .
भाभी का दो बहन थी.
 मुझे शुरुआत में पता नहीं था भाभी का एक बहन मुझ पर मरती थी..
 जो भाभी की छोटी बहन थी.
 क्या था उसका नाम..... हां याद आया... पुनीता..
 उसे देखने के बाद जैसे कोई जादू सा चल गया था, अचानक से हवा रुक गई थी, चारों तरफ गुलाब की खुशबू थी, बस आंखों के सामने सिर्फ वह खड़ी थी.... जिंदगी में पहली बार मुझे ढंग से जीने का मतलब मिला..
 मैं कभी सोचा नहीं था कि मुझे भी वह खराब सा रोग लग जाएगा..
 उस रोग का नाम है ,,,,,,प्यार,,,,,, जो किसी के जिंदगी में आकर सब कुछ ठीक कर देता है ,और किसी के जिंदगी में आकर सब कुछ खत्म कर देता है.....

लेकिन मेरे साथ दोनों ही हुआ था. पहले तो मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो गया, फिर सब कुछ एक हवा के झोंके के साथ जैसे खत्म सा होता चला गया......

भैया के शादी के 2 दिन बाद हमारे घर में शादी का रिसेप्शन था.
 सबके साथ वह भी आई थी.
मैं मजाक मजाक में उससे हंसता रहा ,बात करता रहा, लेकिन मुझे पता नहीं था कब वह मुझ पर दिल हार चुकी है,,,,
 लेकिन मैं प्यार का क्या समझता ,,
मैं तो पूरा जिंदगी अपने आप में ही खुश था.
 मैं मजाक में ले लिया और सोचने लगा,, चलो ठीक है 1 दिन 2 दिन 3 दिन उस के बाद उसे छोड़ दूंगा ...
मैं यही सोच लेकर उसके साथ चलता रहा ..
शादी का माहौल खत्म हो गया, वह अपने घर चली गई.
 मैं अपने घर रह गया,
 फोन में बात होता था पहले 5 मिनट 10 मिनट उसके बाद आधा घंटा फिर आस्ते आस्ते दिन में 10 बार 15 बार फिर ऐसा भी होता था रात रात बात करता था उसके साथ.
 मैं पहले बोला था कि उसे देखने के बाद जैसे सब कुछ थम गया था.... अब समझ में आने लगा कि मैं भी उस पर दिल हार चुका था.....
 मैं जिसे मजाक में ले रहा था ,मेरा अपना ही दिल मुझसे बेईमानी कर बैठे ,वह भी मैं हार चुका था ....
अब क्या करूं यार,,,,, मुझे भी हो गया प्यार,,,,
 चलो जिंदगी बन गया...

रोज सुबह वह फोन करती थी ,
मुझे नींद से उठाती थी, मुझे फोन पर ही बोलती थी यह करो, वह नहीं करो, ऐसे मत चलना, वह वाला कपड़ा पहनो, किस रंग का कपड़ा पहने हो, इससे मत उलझ ना, उससे मत झगड़ना ,क्या खाया, क्या नहीं खाया, सब कुछ...
 दूर थी, फोन पर बात करती थी,
 लेकिन मुझे लगता था कि वह मेरे पास हीं है....
 मेरे साथ में...

वह जैसे चिपक गई थी मेरी जिंदगी, मेरी आत्मा से...  एक बात मैं बोलना भूल गया, मेरा और उसका रिश्ता सिर्फ हम दोनों पर ही था...
 और कोई नहीं जानता था...
एक बात सब लोग बोलता है ना,, कि जिंदगी में सुख हमेशा नहीं रहता,,
 कैसे-कैसे करके मेरे भाभी को यह पता चल गया, कि मैं उसकी बहन से प्यार करता हूं ,और उसकी बहन भी मुझसे प्यार करती है ,,,,,
फिर क्या ,,,,,
जैसे घना काला बादल छा गया , जिंदगी मैं.
 घर पर झमेला हुआ.
 भाभी भी उसके बहन को बहुत डांटा..
 सब लोग को पता चल गया...
हम दोनों भी क्या करते....
 प्यार हमारा इम्तिहान ले रहा था ....
बात करना कम हो गया ,
जैसे एक डर सा बैठ गया था,
 कि अगर उससे ज्यादा बात करूंगा तो वह मुझसे खो जाएगी,,, 
में क्यों बोल रहा हूं ऐसा बात,,,,
 क्योंकि अगर भाभी को फिर पता चल जाता है कि मैं उसकी बहन से बात कर रहा हूं,, तो वह बवाल कर देगी ,पूरा हल्ला मच जाएगा ,,,और उसकी दूसरी जगह शादी करवा देती,,,,
 फिर से बिगड़ गया मेरी जिंदगी,,,, अब एक नया चीज आ गया जिंदगी में,,,, नशा,,,,,,
 मैं नशा करने लगा अपने दुख को भुलाने के लिए.....
सब कुछ फिर बिगड़ गया, अब मैं उसकी नजर में खराब हो गया, क्योंकि मैं नशा करता था....
 वह क्या समझेगी मेरे दिल के दर्द ना मैं उसको भुला पा रहा हूं, ना मेरे परिवार को छोड़ सकता हूं,, भैया, भाभी, मां ,बाबू मेरे लिए सब कुछ है ,,,,और वह मेरी,,,, जिंदगी,,,,,, है .
जिंदगी में परिवार भी चाहिए और प्यार भी चाहिए ....
ना जिंदगी छोड़ पाया ,और ना परिवार छोड़ पाया,,, फिर क्या करता मैं..... सब कुछ जैसे बदल सा गया, मेरा नशा भी बढ़ गया और उससे बातें करना भी..... भाभी उसके घर पर सब बोल दिया,,,, उसके घर वाले नाराज हो गया,,, और उसकी शादी दूसरी जगह पर तय कर दी....
उसकी शादी का बात सुनकर मैं भड़क गया,,,, उसके साथ मेरा कुछ खास तस्वीरें थे,,,, जो मैं,,, जहां उसका शादी ठीक हुआ था, वह लोग को दिखा दिया,,, उसका शादी टूट गया,,,,,,,
 क्या करता मैं,,,,,
 कैसे अपने जिंदगी को दूसरे के हाथ में दे देता,,,,, कैसे मान लेता कि वह किसी दूसरे की हो जाए,,,,,,
 हां मैं मानता हूं कि मैं गलत किया,, लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं था,,,,,,
 उसका शादी टूट गया.... फिर से मैं बात करने लगा, भेंट करने लगा, लेकिन अब किसी को समझने नहीं दिया..... सब लोग जानता था कि मैं उसे भुला चुका हूं, वह मुझे भुला चुकी है,,,
 वह भी मुझसे बात करती थी चुप चुपके,,, मैं भी उससे बात करता था चुप चुपके....
 मैं सोचा था कि कुछ दिन बीत जाए, कुछ साल बीत जाए, फिर सब लोग मान लेगा, 
लेकिन मेरी फूटी किस्मत,,,,, मैं उसके मन में से उठ गया था... अब मेरा भाभी नहीं, उसके परिवार नहीं ,मेरा परिवार भी नहीं,,, बल्कि वह मुझसे नफरत करने लगी थी.....
 उसका व्यवहार ऐसा था मानो मैं कोई अनजान हो ,मुझे वह पहचानता ही नहीं, वह बदल चुकी थी.......
न जाने क्यों मुझे लगने लगा था कि वह मेरे साथ खेल रहा है.... मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की,,, लेकिन वह नहीं समझी....
 1 दिन की बात है..
 वह मेरे घर आई थी, मुझसे थोड़ा दूरी बनाकर चल रही थी,, मैं उसके पास गया, उसका हाथ पकड़ा, उससे अकेले में बात करना चाहा, लेकिन ..वह हर वक्त मुझसे दूर भाग रही थी....
 न जाने क्यों मुझे लग रहा था कि वह खो जाएगी.... मेरा बात सच निकला,,,,
 एक दिन शाम को वह घर के बाहर बैठी थी,,, और मैं रास्ते से आ रहा था,,,, मैंने उसको किसी से फोन पर बात करते हुए सुन लिया.... ओ किसी दूसरे से प्यार भरी मीठी, मीठी बातें कर रही थी....
 मैं क्या करता,,,,
 मैं उसे बहुत समझाने की कोशिश की, वह फिर भी नहीं मानी,,
 मेरा जिंदगी फिर से बिखर गया.....
 ना घर अच्छा लगता था, ना बाहर पर अच्छा लगता था... जब भी घर आता था भैया, भाभी, मां ,बाबू, मैंने ऐसा क्यों किया, वैसा क्यों किया, यही पूछता था...
 और बाहर जाओ तो उसकी यादें मुझे सताती थी,,,,
 जिंदगी जैसे एक घना काला बादल के बीच घुस गया था ,,,,सामने सिर्फ और सिर्फ काला अंधेरा था,,, और कुछ नहीं था,,,,
 एक दिन ऐसा आया वह मेरा फोन भी नहीं उठा रही थी ,,,
दिन बीत गया, महीना बीत गया, वह फिर भी मेरा फोन नहीं उठा रही थी.... मुझसे बात ही नहीं हो पा रहा था, उस से भेंट भी नहीं हो पा रहा था,,
 लेकिन मैं इंस्ट्रा में, फेसबुक में, उसका हस्ता खेलता डीपी देखता था,, उसका शायरी पड़ता था ,,,लगता था जैसे,,, उसके अंदर कोई दर्द नहीं, प्यार होने का कोई एहसास नहीं,,, मैं जैसे उसके लिए कुछ नहीं,,,,
 तो क्या वह सिर्फ टाइम पास करने के लिए मुझसे आ कर मिलती थी,,, क्या लड़कियां ऐसे ही होते हैं,,,, पहले किसी के दिल में आकर दिल में जगह बना लेती है,,, फिर वहां कुछ दिन रहती है,,,, फिर अंदर सब कुछ तबाह करके निकल जाती है ,,,,,
एक चीज तो आंखों के सामने आ गया था ,,,,चाहे जो भी हो जाए वह कभी मेरा जिंदगी में नहीं आएगी,,,,, उसकी मन में दूसरा कोई आ गया था,,,, जहां मेरा कोई जगह नहीं था.....
मैं क्या करता....
 अब मैं भाभी को मनाने की कोशिश में लग गया ..दिन में बहुत बार भाभी के पास जाकर मैं बोलता था, भाभी तुम्हारे बहन से मेरा शादी करवाओ ....अब मैंने देखा भाभी के अंदर गुस्सा नहीं थी.... वह मुझे बोलने लगी कि तुम मेरे बहन से बात करो,,, अगर वह मान जाए तो शादी कर लेना..... मेरा मन खुशी से झूम उठा.... कि, मेरा परिवार तो मान गया चलो वह भी मान जाएगी,,,, लेकिन मैं गलत था,, उसके जिंदगी में दूसरा कोई आ गया था,,, मैं उसे मनाने में नाकामयाब रहा.... 1 दिन की बात है,,,, मैं ,भाभी ,भैया उसके घर गया था... मेरा मन खुश था... कि बहुत दिन बाद उसे देख रहा हूं,,, लेकिन उसका कोई फीलिंग नहीं था ...
जैसे मैं उसके लिए अनजान हूं ,,,,वह सिर्फ भैया, भाभी को लेकर खुश थी ....ना मेरी तरफ देखती थी, ना मुझसे बात करती थी,, ना मेरे साथ कहीं घूमने जाती थी, यह सब देख कर मैं अंदर से घुट घुट के मर रहा था ,लेकिन क्या करूं भैया भाभी सामने थी ..
उसके घर वाले सामने थे ....
मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था...
 और कुछ कर भी नहीं पा रहा था...
 मेरा मन कर रहा था कि मैं वहां से चला आओ, लेकिन,, अगर अकेला चला आता, तो भैया ,भाभी नाराज हो जाते...
 इसलिए घुटन लेकर रह गया कुछ दिन... मानो जैसे एक-एक दिन एक साल के जैसे लगने लगा ...
वह मेरे पास तो थी लेकिन बहुत ही दूर थी ,,,
1 दिन घर चला आया...
 मैं तो घर पहुंचा लेकिन, मेरा हालात पहले जैसा नहीं था... मैं और बिगड़ गया ,,,मेरा नशा बहुत बर गया था,,, कुछ अच्छा नहीं लगता था, मैं अपने आप को ठीक रखने के लिए बाहर काम पर चला गया...
 काम करने लगा ,धीरे-धीरे उसे भूलने लगा..
 फिर से वही जिंदगी, मेरा काम ,और मैं अकेला ...
लेकिन.. भूलू तो भूलू कैसे... हर रात मेरे सपनों में वो आती थी, और मुझे देखकर हंसती थी , मां नो जैसे मुझे बोलती थी कि कैसा पागल है तू, तेरा औकात क्या है मुझसे प्यार करने का,,, तू जमीन पर रहकर चांद को छूने की कोशिश कर रहा है,,,,
 हां मेरे लिए वह चांद ही थी ,,, जो थी मेरा आंखों के सामने, लेकिन बहुत दूर ....
 हर रोज सपने में आकर यही एक बात दोहरा तिथि,,, ऐसे ही चल रहा था जिंदगी,,,,
 कुछ महीने बाद मैं घर लौट आया ...
घर पर आने के बाद मेरे मम्मी, पापा ,भैया ,भाभी मुझे प्रेशर करने लगी कि दूसरे लड़की से शादी कर लो.... कैसे कर लेती,,, उसके सिवा कोई और भाता नहीं.... मेरे जिंदगी में वही तो एक लड़की है ,जिसे मैं खुद से ज्यादा चाहता हूं ,,,,
कैसे मैं उसकी जगह किसी और को दे दूं?????
 लेकिन वह पगली समझती ही नहीं ,,,,,अब तो वह मेरा फोन भी नहीं उठाती है,,,, और वेट करना मुमकिन नहीं है ....
करूं तो करूं क्या ???
 खो गई वह मुझसे.....
 भाभी उससे फोन पर बात करती थी, और मैं बगल में बैठ कर सुनता था,,, उसकी आवाज सुनकर मन को सुकून मिलता था,,,, उसकी आवाज सुनकर ही दिन गुजरता था,,, किस्मत का खेल,,,,
 खो गया वह पगली......
 अगर फिर से उससे बात होता है तो एक बार जरूर पूछूंगा,,,,
 मेरे दिल से खेल के तुझे कैसा लगा ?????
 मजा आया,,,, या फिर बेकार लगा ????
 और एक बात बोलूंगा,,,,
 तुझे जितना दूर जाना है चली जा....
 लेकिन...
 मेरे दिल से कहा भागेगी ,???
 मैं हर रोज तुझे दिल से पुकार लूंगा,,,,
 और तू किसी और के सीने पर,
 सर रखकर रोएगी,,,,,
 जिंदगी में 1 दिन ऐसा भी आएगा ....
तू भी मुझसे प्यार करेगी....
 लेकिन तु मुझे ढूंढेंगी ....
मैं मिल नहीं पाऊंगा तुझे,,,,
 क्योंकि ,,,,
उस दिन तू रहेगी जमीन पर ,,,,,
और मैं रहूंगा,,,,
,,,,,,, आसमान मैं,,,,,,,,,,

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